Sangeeta singh

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आत्मा का बदला

जगन,हरिया,सुधा ,पूनम देख तेरे बापू को क्या हो गया।
हाय री मेरी किस्मत,मुझे अकेला छोड़ गए_जोर जोर से कमला चिल्ला रही थी ।आसपास  गांव के लोग जमा हो गए,लड़के बहू दौड़े दौड़े आ गए।
कमला अपना सर जोर जोर से जग्गू के सीने में पटक रही थी।
गांव के लोग सलाह मशविरा करने लगे ,हरिया के कोई और भी सगे संबंधी हों तो उन्हें खबर कर दी जाए।
महिलाएं बैठ कर कमला को दिलासा देने लगीं,अरे बहना मौत पर किसका जोर चला है ,बहुत दिनों से बिस्तर पर थे ,बेचारे झेल रहे थे ,अच्छा ही हुआ भगवान ने मुक्ति दे दी।

जगदीश काफी दिनों से बीमार चल रहा था।आखिर आज उसने अंतिम सांस ले ही ली।
कोई सगा संबंधी बाहर था  नहीं इसलिए ,क्रिया कर्म का इंतजाम शुरू हो गया।बड़े बेटे  जगन ने मुखाग्नि दी ।
हिंदू धर्म में मुखाग्नि देने वाले को घर के  बाहर ही सोना होता है।
कमला ,जगदीश की दूसरी पत्नी थी।पहली पत्नी एक बच्चे को जन्म देकर मर गई थी।नन्ही जान की देख भाल के लिए गांव वालों के जोर देने पर उसने कमला से दूसरी शादी कर ली।
समय बीत रहा था ,सबकुछ ठीक से चल रहा था,इस बीच कमला दो बच्चे की मां बन गई थी,लेकिन पहली पत्नी के बेटे को उसने सताना शुरू कर दिया।वह रघु को रास्ते से हटाना चाहती थी , ताकि जायदाद के वारिश उसके अपने बच्चे हों उसने  इसीलिए  रघु के खाने में अफीम मिलाना शुरू कर दिया।
धीरे धीरे सभी लड़के शादी की उम्र के लायक हो गए।रघु तो पागल जैसा हो गया था,वह कोई काम धाम नहीं करता।बहुत बार लोगों ने जगदीश से कहा इसे डॉक्टर को दिखा दो ,लेकिन कमला के आगे जगदीश की चलती नहीं थी।
जगन और हरिया की शादी हो गई,बहुएं भी आ गईं।
एक दिन जगदीश खेत से जल्दी घर आ गया,कमला की बहन बहुत सालों बाद आई हुई थी , उससे बात कर रही थी।
रघु की बात सुनकर जगदीश सचेत हो गया,कमला अपनी बहन को  बता रही थी ,जानती हो जीजी ये पगला ऐसे नहीं हुआ मैने इसे बचपन से ही हल्का हल्का अफीम खिलाना शुरू कर दिया था।
भला क्यों कमला_उसकी बहन ने पूछा?
अरे जीजी ये भी कोई पूछने की बात है ,इसे भी तो हरिया ,और जगन के साथ हिस्सा मिलता ,अब  न इसकी शादी होगी ना बच्चा ,कोई दावेदार नहीं ।सबकुछ मेरे बच्चों का । वाह कमला तूने तो बड़ी दूर की सोची।
और दोनों हंस पड़ी।जगदीश से ये सब सुनकर  बर्दाश्त नहीं हुआ और वह गुस्से से दांत पीसता आंगन में कमला के सामने आ गया।
कमबख्त औरत तू इतनी स्वार्थी है, मेरे बच्चे की जिंदगी तूने बरबाद कर दी,अब मैं तुझे नहीं छोडूंगा,और इतना कहते उसने उसकी चोटी पकड़  कर एक तमाचा जड़ दिया ।तभी जगन दौड़ कर आया और उसने जगदीश के सर पर लोहे का रॉड दे मारा।
सर पर गहरी चोट लगी,और जगदीश गिर पड़ा,और कोमा में चला गया।उसके बाद जब  भी कोई भी जगदीश से मिलने घर आता तो कमला उसे मिलने न देती,कहती जगदीश की तबियत खराब है डॉक्टर ने किसी से मिलने को मना कर दिया है।मौका देखकर जगन और हरिया ने रघु को एक ट्रेन में बिठा दिया ,जो कहां जाती थी ,क्या होगा  रघु का सब उसकी किस्मत थी।

और आखिर जगदीश ने अपनी  अंतिम सांस ली तो कमला ने  खूब रोने का नाटक खेला ,जबकि मन ही मन मुस्कुरा रही थी।
इन 13 दिनों में जगन को रोज जगदीश का साया दिखाई देता।वह परेशान हो गया,उसने कमला को बताया।
कमला ने आखिर कई पंडितों से बात की ।सबने कहा अतृप्त आत्मा का उपाय हम 13 वीं के बाद करेंगे।
13वीं के दिन भव्य ब्राह्मण भोज की व्यवस्था की गई।श्राद्ध में हर सामान जो जगदीश को पसंद था ,पंडितों के माध्यम से उसको दूसरे लोक में मिल जाए इसकी व्यवस्था कमला ने करवाई थी।
13वीं में ब्राह्मणों ने छक कर तरह तरह पकवानों का रसास्वादन किया ।
तभी जैसे जगदीश कमला के सामने प्रकट हुआ ,तुम भी तो मेरी जरूरत और प्यारी चीज हो ,तुम यहां कैसे रह सकती हो ,चलो मेरे साथ।
और देखते देखते बैठी कमला का सर एक ओर लुढ़क गया।
चारों ओर हाहाकार मच गया।
लेकिन अब जगदीश की आत्मा को असली आहुति मिली,उसके साथ अगले लोक जाने वाली उसकी अपराधिनी।

कहते हैं ना इस जन्म में लोग किसी को दुख देते हैं और मरने के बाद भी उनका स्वार्थ और डर होता है कि उनके सगे संबंधी उन्हें कष्ट न दें इसलिए सबको खूब खिलाओ ,दान करो ।जबकि दिखावे के लिए नहीं की मरने के बाद हमने मृतक के लिए क्या किया क्या नहीं मृतक को मिला या नहीं मिला ये तो कोई नहीं जानता ,लेकिन इस लोक में हम अपने सगे संबंधियों की इच्छा का कितना ध्यान रखते हैं,उनकी कितनी जरूरतें पूरा करते हैं,ये मायने रखती है 
दिखावा करने से नहीं ,सगे संबंधी की आत्मा तृप्त होती है ,उन्हें तो चाहिए श्रद्धा,सम्मान,और प्यार।

समाप्त

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8 Comments

Shnaya

28-May-2022 02:53 PM

बेहतरीन

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Seema Priyadarshini sahay

26-May-2022 05:11 PM

बहुत खूबसूरत

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Sangeeta singh

26-May-2022 06:57 PM

हृदय से आभार

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Shrishti pandey

26-May-2022 02:59 PM

Nice

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Sangeeta singh

26-May-2022 06:57 PM

धन्यवाद

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